[REVIEW] SAIYAARA (2025) – CONCRETE AUR SITAARON KE BEECH KHOI HUI ROOHON KI EK CINEMATIC NOCTURNE
Dard, akelepan (isolation) aur redemption ka ek hairatangez visual journey, jahan director Arjun Roy Kapur ne saabit kiya hai ki khamoshi kabhi-kabhi bum-dhamakon se bhi zyada kaan phodu hoti hai.
FILM INFORMATION (METADATA)
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Movie Name: Saiyaara (सैयारा)
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Release Year: 2025
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Director: Arjun Roy Kapur
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Screenplay: Megha Ramaswamy, Arjun Roy Kapur
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Lead Actors: Ranbir Kapoor (Kabir), Alia Bhatt (Tara), Jaideep Ahlawat (Vikram).
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Score: Clinton Cerejo & Bianca Gomes
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Cinematography (DoP): Sudeep Chatterjee, ISC
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Production Design: Tiya Tejpal
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Producer: Siddharth Roy Kapur, Karan Johar (Dharma Productions & Roy Kapur Films)
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Genre: Neo-noir / Psychological Drama / Romance
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Duration: 154 minutes (2h 34m)
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Language: Hindi
IN-DEPTH CRITIQUE
Cannes से लेकर Toronto तक फिल्म फेस्टिवल्स की Front Row में 15 साल गुजारने और ग्लोबल सिनेमा के उतार-चढ़ाव को देखने के बाद, मैं बॉलीवुड के शोर भरे “Masala” रिदम का आदि हो गया हूँ। लेकिन कभी-कभी, एक ऐसी फिल्म आती है जो उस शोरगुल वाले पर्दे को एक उत्तेजक सन्नाटे और साँस रोक देने वाली Cinematic Language से फाड़ देती है। निर्देशक Arjun Roy Kapur की “Saiyaara“ (2025) ऐसी ही एक फिल्म है।
यह कोई ऐसी फिल्म नहीं है जिसे आप Passively (निष्क्रिय होकर) देखें; यह एक ऐसा माहौल (Atmosphere) है जिसमें आप साँस लेते हैं, अंधेरे और गीली सड़कों पर रिफ्लेक्ट होती Neon Lights और कभी न भरने वाले रूहानी जख्मों से बुना गया एक Cinematic Nocturne। एक ऐसे साल में जहाँ बॉक्स ऑफिस पर Superhero Universes का कब्जा है, “Saiyaara” ने एक अकेले रास्ते को चुना है, बिल्कुल अपने नाम की तरह – एक भटकता हुआ ग्रह जो अपनी खुद की कक्षा (orbit) तलाश रहा है।
1. Narrative Structure: बर्बादी की वास्तुकला (Architecture of Ruin)
“Saiyaara” की Script पारंपरिक Three-Act Structure को फॉलो नहीं करती। इसके बजाय, यह दिमाग में धीरे-धीरे गिरते हुए एक आर्किटेक्चर की तरह है। कहानी Kabir (Ranbir Kapoor) के साथ चलती है, जो मुंबई में एक टैलेंटेड लेकिन ठुकराया हुआ Architect है, और एक पर्सनल ट्रेजेडी के खंडहरों में जी रहा है। वह आसमान छूने वाली इमारतों को डिजाइन करता है, लेकिन उसकी आत्मा सबसे अंधेरे तहखाने में फंसी हुई है। उसकी जिंदगी Tara (Alia Bhatt) से टकराती है, जो एक रहस्यमय Astronomer है, और सितारों को इसलिए निहारती है क्योंकि वह ज़मीन की क्रूर सच्चाई से डरती है।
उनका सफर – एक Neo-noir स्टाइल वाली बारिश से भीगी मुंबई की तंग गलियों से लेकर, हिमालय की ठंडी और विरल हवाओं तक – इलाज के लिए कोई साधारण Road Trip नहीं है। यह आंतरिक अंधेरे में एक तीर्थयात्रा है। Kapur ने Setting को एक मजबूत रूपक (Metaphor) की तरह इस्तेमाल किया है: मुंबई यादों का एक भूलभुलैया है, जहाँ हर मोड़ अतीत का एक भूत है; जबकि हिमालय एक क्रूर सफेद Canvas है, जहाँ दर्द के छिपने की कोई जगह नहीं है, जो किरदारों को नग्न होकर उसका सामना करने पर मजबूर करता है।
फिल्म की Pacing को एक मास्टर क्लास की तरह कंट्रोल किया गया है। Kapur जल्दबाजी नहीं करते। वे Long Takes का उपयोग करते हैं, जो इतने शांत हैं कि दम घुटने लगता है, जिससे ऑडियंस किरदारों के अकेलेपन में डूब जाती है, और फिर अचानक क्रूर Visceral इमोशनल विस्फोट होते हैं। यह दबाव 154 मिनट तक लगातार एक साइकोलॉजिकल तनाव बनाए रखता है।
2. Psychology & Acting: टुकड़ों की सिम्फनी (Symphony of Fragments)
Ranbir Kapoor ने कई यादगार रोल किए हैं, लेकिन “Saiyaara” में Kabir का किरदार एक पूरा Transformation है। उन्होंने एक ऐसे इंसान का रूप लेने के लिए अपना स्टारडम पूरी तरह त्याग दिया है जो अंदर से खोखला हो चुका है। यहाँ Kapoor की एक्टिंग में हाई डिग्री की Physicality है: कंधे ऐसे झुके हुए जैसे पूरे आसमान का बोझ उठाया हो, नज़रों को चुराने का तरीका, और सबसे खास, उनकी बोलती हुई खामोशी। एक अहम Sequence में – एक पेंटहाउस में बारिश को देखते हुए लिया गया Slow-burn शॉट – Kabir बस वहां बैठकर सिगरेट पीता है, जबकि बाहर के बिलबोर्ड की रोशनी उसके चेहरे से गुजरती है, और बिना किसी डायलॉग के दर्द की परतें खुलती जाती हैं। यह Internal Acting की एक Masterclass है।
उनके विपरीत Tara के रूप में Alia Bhatt हैं। अगर Kabir भारी कंक्रीट है, तो Tara एक Starlight है – दूर, ठंडी लेकिन दिल को छू लेने वाली। Bhatt ने एक Ethereal और नाजुक परफॉरमेंस दी है। वह Kabir को बचाने वाली (Savior) नहीं है; वह खुद डूब रही है, बस एक अलग फ्रीक्वेंसी पर। उनके बीच की Chemistry आम बॉलीवुड रोमांस जैसी विस्फोटक नहीं है; यह एक आपदा (Disaster) से बचे हुए दो लोगों के बीच की पहचान है। वे दो अकेले ग्रह हैं जिन्हें दर्द की Gravity ने एक साथ खींच लिया है।
Jaideep Ahlawat, जो Vikram के रोल में हैं, Kabir के अतीत का एक भूत हैं, जो कम स्क्रीन टाइम के बावजूद हर फ्रेम में एक लटकते हुए फैसले (Judgment) जैसा वजन रखते हैं।
3. Cinematic Language: अंधेरे और उजाले से पेंटिंग (Chiaroscuro)
दिग्गज Cinematographer (DoP) Sudeep Chatterjee (ISC) “Saiyaara” के विजुअल्स के लिए हर तारीफ के हकदार हैं। यह फिल्म Chiaroscuro (लाइट और डार्क का कंट्रास्ट) तकनीक से लिखी गई एक विजुअल पोएट्री है, जो Roger Deakins के काम की याद दिलाती है।
मुंबई के पहले हिस्से में, Chatterjee ने जगह को संकुचित (compress) करने के लिए Anamorphic Lenses का उपयोग किया, जिससे शहर एक दमघोंटू कांच के पिंजरे जैसा लगता है। Color Palette में ठंडे Steel Blue, बीमार Sodium लाइट्स का पीलापन, और गीली सड़कों पर रिफ्लेक्ट होती Neon लाइट्स हावी हैं। हर फ्रेम Claustrophobic लगता है, जो Kabir के कैद दिमाग को दर्शाता है।
दूसरे हिस्से में हिमालय का बदलाव एक जानबूझकर दिया गया Visual Shock है। फ्रेम चौड़ा हो जाता है। Natural Light – दिन की बर्फ की सफेदी और रात के गहरे नीले आसमान का अनंत विस्तार – सब कुछ अपने कब्जे में ले लेता है। Chatterjee ने Extreme Wide Shots का उपयोग किया है, जो विशाल प्रकृति के सामने इंसानों को छोटे बिंदुओं में बदल देता है। यहाँ कैमरा सिर्फ रिकॉर्डिंग नहीं कर रहा, वह दूसरा Storyteller है, जो उन बातों को फुसफुसाता है जिन्हें किरदार बोल नहीं पाते।
4. Music & Sound Design: शून्य की गूँज (Echoes of the Void)
Clinton Cerejo & Bianca Gomes की जोड़ी ने एक Experimental और बेबाक Score तैयार किया है। मधुर धुनों के बजाय, उन्होंने Ambient Sounds, White Noise, और पियानो के टूटे हुए नोट्स का उपयोग किया है जो खाली जगह में धातु के टकराने की तरह गूँजते हैं। “Saiyaara” का संगीत एक मरते हुए इंसान की दिल की धड़कन जैसा है – कमजोर, रुक-रुक कर, लेकिन लगातार।
Sound Design ने World-building में अहम भूमिका निभाई है। मुंबई में, यह हॉर्न, टिन की छत पर गिरती बारिश और कंस्ट्रक्शन के शोर की एक अराजक सिम्फनी है – जो अंदर के खालीपन को ढकने वाला शोर है। इसके विपरीत, हिमालय में, Silence (सन्नाटा) ही मुख्य साउंडट्रैक है। शहरी शोर की अनुपस्थिति कानों को चुभने वाली हो जाती है, जो ऑडियंस को किरदारों की उखड़ी हुई साँसों और पहाड़ों के बीच से गुजरती हवा पर फोकस करने पर मजबूर करती है।
5. Artistic Value: एक Masterpiece जो भीड़ के लिए नहीं है
“Saiyaara” कोई आसान फिल्म नहीं है, और निश्चित रूप से यह कोई “Crowd-pleaser” नहीं है। यह धैर्य और मानव आत्मा के उन अंधेरे कोनों का सामना करने की मांग करती है जो आरामदायक नहीं हैं। यह ऑडियंस को खुश करने के लिए आसान जवाब या पारंपरिक Happy Ending देने से इनकार करती है। इसके बजाय, यह एक शांत नोट पर खत्म होती है, एक अस्पष्ट स्वीकृति कि कुछ घाव कभी पूरी तरह नहीं भरते, वे बस हमारी आत्मा के आर्किटेक्चर का हिस्सा बन जाते हैं।
यह Pure Cinema है, एक जोरदार रिमाइंडर कि भारतीय सिनेमा के पास ऐसे आर्ट पीस बनाने की क्षमता है जो विजुअली और साइकोलॉजिकली गहरे हैं। Arjun Roy Kapur ने एक ऐसी फिल्म बनाई है जिस पर थिएटर की लाइट बंद होने के बहुत बाद तक चर्चा और विश्लेषण किया जाएगा। यह शायद पहले दिन के बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड न तोड़े, लेकिन यह उन लोगों के दिमाग में गहराई से उतर जाएगी जो वास्तव में सिनेमा से प्यार करते हैं। अगले साल के International Awards के लिए एक मजबूत दावेदार।
Critic Rating: Grade A
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