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    Telugu Movies

    [Review] Mirai (2025)

    KavyaBy Kavyaदिसम्बर 11, 2025Updated:दिसम्बर 12, 2025कोई टिप्पणी नहीं7 Mins Read
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    [Review] Mirai (2025) – जब कलिंग की दंतकथा नए युग में जाग उठी

    रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)

    कांस (Cannes) से लेकर संडास (Sundance) तक के फिल्म समारोहों में 15 वर्षों के अनुभव वाले एक फिल्म आलोचक के रूप में, मैं आपके सामने भारत की महत्वाकांक्षी फिल्म – Mirai (The Super Yodha) की गहन समीक्षा प्रस्तुत कर रहा हूँ।

    अगर HanuMan ने तेजा सज्जा (Teja Sajja) को सुपरहीरो ब्रह्मांड में प्रवेश कराया था, तो Mirai इस बात का प्रमाण है कि तेलुगु सिनेमा (Tollywood) के पास लोककथाओं और आधुनिक सिनेमाई भाषा को मिलाने की सुनहरी चाबी है। निर्देशक (और कुशल सिनेमैटोग्राफर) कार्तिक घट्टमनेनी (Karthik Ghattamaneni) के हाथों, Mirai सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है; यह रोशनी, रक्त और सम्राट अशोक के हजारों साल पुराने रहस्यों से रंगा गया एक कैनवास है।

    1. फिल्म विवरण (Metadata)

    ताकि हमारे पाठक संदर्भ को जल्दी समझ सकें, यहाँ फिल्म की तकनीकी जानकारी दी गई है:

    • फिल्म का नाम: Mirai (The Super Yodha)

    • निर्देशक: कार्तिक घट्टमनेनी (Karthik Ghattamaneni)

    • मुख्य कलाकार: तेजा सज्जा (Teja Sajja), रितिका नायक (Ritika Nayak), मंचू मनोज (Manchu Manoj – खलनायक ‘The Black Sword’ के रूप में)

    • शैली (Genre): एक्शन, फैंटेसी, पौराणिक कथा, ऐतिहासिक

    • निर्माता: टी.जी. विश्व प्रसाद (People Media Factory)

    • रिलीज वर्ष: 2025

    • अवधि: 155 मिनट

    • भाषा: तेलुगु (हिंदी, तमिल, कन्नड़, मलयालम डब के साथ) – Telugu 

    • संगीत: गौरा हरि (Gowra Hari)

    • सिनेमैटोग्राफी: कार्तिक घट्टमनेनी


    2. कथावस्तु (Plot): कलिंग युद्ध की गूँज

    Mirai की पटकथा दर्शकों को इतिहास के उस अंधेरे दौर में ले जाती है, जहाँ खूनी कलिंग युद्ध ने सम्राट अशोक का हृदय परिवर्तन कर दिया था। किंवदंती है कि 9 गुप्त ग्रंथ (Scriptures) हैं जिनमें ऐसा निषिद्ध ज्ञान छिपा है जो मानवता का भाग्य बदल सकता है। तेजा सज्जा, जो ‘चुने हुए एक’ (The Chosen One) यानी एक “सुपर योद्धा” की भूमिका में हैं, इन रहस्यों को बुरी ताकतों से बचाने की लड़ाई में उलझ जाते हैं।

    घिसे-पिटे “दुनिया को बचाने वाले हीरो” के फॉर्मूले पर न चलकर, Mirai एक ऐसा विश्व दृष्टिकोण बनाती है जहाँ अच्छाई और बुराई के बीच की रेखा एक धागे की तरह बारीक है। कहानी सिर्फ एक खजाने की रक्षा की नहीं है, बल्कि आत्म-खोज की यात्रा है, जहाँ मुख्य नायक को “द ब्लैक स्वॉर्ड” (मंचू मनोज) का सामना करना पड़ता है – एक ऐसा खलनायक जो न केवल शारीरिक रूप से मजबूत है बल्कि विचारों में भी तेज है।

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    3. गहन विश्लेषण: सिनेमाई भाषा और शैली (Cinematic Analysis)

    3.1. दृश्य और छायांकन (Cinematography): छाया का नृत्य

    एक आलोचक के रूप में जो दृश्यों (visuals) के प्रति बहुत सख्त है, मुझे कार्तिक घट्टमनेनी की दृश्य सोच (visual thinking) को सलाम करना होगा। एक DOP (फोटोग्राफी निर्देशक) होने के नाते, कार्तिक ने Mirai के हर फ्रेम को एक कलाकृति में बदल दिया है।

    फिल्म में Chiaroscuro (प्रकाश और अंधकार का गहरा विरोधाभास) टोन का उपयोग किया गया है, जो पुनर्जागरण काल (Renaissance) की पेंटिंग की याद दिलाता है लेकिन एक रहस्यमय प्राच्य सेटिंग में। कलिंग के खंडहरों के दृश्य केवल ईंट-पत्थर नहीं हैं; वे दरारों से छनकर आती रोशनी के माध्यम से “सांस” लेते हैं, जो एक दमघोंटू लेकिन भव्य वातावरण बनाते हैं।

    विशेष रूप से, आमने-सामने की लड़ाई के दृश्यों में ट्रैकिंग शॉट (tracking shot) तकनीक को आश्चर्यजनक रूप से सहज रखा गया है। हॉलीवुड में अक्सर देखी जाने वाली मार्शल आर्ट्स की खामियों को छिपाने के लिए त्वरित कटौती (quick cuts) का उपयोग करने के बजाय, Mirai का कैमरा लॉन्ग टेक (long takes) रखता है, जिससे दर्शकों को शैलीबद्ध कलारीपयट्टू (Kalaripayattu) की सुंदरता को पूरी तरह से देखने का मौका मिलता है। भविष्य के नियन (neon) बैंगनी और नीले रंग इतिहास की धूल भरी पीली-भूरी मिट्टी से टकराते हैं, जो एक उत्तेजक दृश्य विरोधाभास पैदा करते हैं।

    3.2. फिल्म की गति (Pacing) और संरचना

    Mirai की गति (pacing) एक योद्धा की तलवार की तरह तेज और सटीक है।

    • पहला अध्याय (Act 1): धीमा, रहस्यमय, और नियति के भारीपन को स्थापित करता है।

    • दूसरा अध्याय (Act 2): पीछा करने वाले दृश्यों और रहस्यों के उद्घाटन के साथ विस्फोटक।

    • तीसरा अध्याय (Act 3): चरमोत्कर्ष (climax) की ओर बढ़ता हुआ, जो दर्शकों की भावनाओं को चरम पर ले जाता है।

    संपादक ने समय की अलग-अलग धाराओं को बहुत ही चतुराई से बुना है। अतीत (अशोक का समय) और वर्तमान के बीच का परिवर्तन जबरदस्ती नहीं लगता, बल्कि यादों की नदी की तरह बहता है। कुछ शांत पल (dead time) भी हैं, जो दर्शकों को एक्शन दृश्यों में बह जाने से पहले चरित्र के दर्द को महसूस करने का मौका देते हैं।

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    3.3. चरित्र मनोविज्ञान और अभिनय (Acting)

    तेजा सज्जा (Teja Sajja) ने एक शानदार बदलाव दिखाया है। अपने पिछले कार्यों की चंचल छवि को त्यागते हुए, Mirai में तेजा की आँखों में वह गंभीरता है जैसे उन्होंने अपने कंधों पर पूरा आसमान उठा रखा हो। उनकी परिपक्वता संवादों से नहीं, बल्कि शारीरिक भाषा (body language) से आती है। जिस तरह से वह अपनी छड़ी पकड़ते हैं, दुश्मन का सामना करते समय उनकी मांसपेशियां कैसे तन जाती हैं – यह सब उन्हें भारतीय पौराणिक फिल्मों में अब तक का सबसे “मानवीय” नायक बनाता है।

    हालांकि, मंचू मनोज (Manchu Manoj) ने “द ब्लैक स्वॉर्ड” के रूप में महफिल लूट ली है। वह सिर्फ एक साधारण खलनायक नहीं है। वह अराजकता का अवतार है, एक ऐसा पागल व्यक्ति जिसका अपना आदर्श है। वह शब्दों से ज्यादा अपनी आँखों से अभिनय करते हैं, जब भी वह स्क्रीन पर आते हैं तो एक अदृश्य दबाव पैदा कर देते हैं। तेजा और मनोज के बीच का विरोध केवल शारीरिक नहीं है, बल्कि दो विचारधाराओं का टकराव है: ‘रक्षण’ और ‘कब्ज़ा’।

    3.4. संगीत और ध्वनि डिजाइन (Sound Design)

    संगीतकार गौरा हरि (Gowra Hari) ने एक भव्य ध्वनि कैनवास बुना है। खास बात यह है कि उन्होंने पारंपरिक वाद्ययंत्रों (जैसे बांसुरी, ढोल) को आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक ध्वनियों (synth) के साथ मिलाया है।

    लड़ाई के दृश्यों में, संगीत केवल पृष्ठभूमि नहीं है; यह युद्ध की धड़कन बन जाता है। धातु के टकराने की आवाज़ को ऊँची मात्रा में मिक्स किया गया है, जो तीखी लेकिन यथार्थवादी है, जिससे दर्शक हर वार के वजन को महसूस करते हैं। थीम सॉन्ग में वीरता की गूंज है, जो महाकाव्यों की याद दिलाती है और अंतिम क्षणों में दर्शकों की भावनाओं को ऊंचाइयों पर ले जाती है।


    4. कलात्मक मूल्य और संदेश

    Mirai केवल मनोरंजन नहीं है। यह अतीत की विरासत के प्रति मानवीय जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। क्या परम शक्ति को दफन कर दिया जाना चाहिए या उसे खोजा जाना चाहिए?

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    फिल्म भारतीय संस्कृति का सम्मान सतही दिखावे से नहीं, बल्कि धर्म और जीवन, कर्म (Karma) और मुक्ति के दर्शन में गहराई तक जाकर करती है। फिल्म में बार-बार आने वाला “सूर्य ग्रहण” का रूपक यह संकेत देता है कि सबसे काला समय वह होता है जब प्रकाश सबसे शक्तिशाली रूप में पुनर्जन्म लेने वाला होता है।

    वीएफएक्स (VFX) के मामले में, हालांकि कुछ बड़े दृश्यों (wide shots) में थोड़ी कमियां हैं, लेकिन एशियाई सिनेमा के मानकों पर, Mirai अंतरराष्ट्रीय स्तर के करीब पहुँच गई है। प्रोडक्शन डिजाइन (Production Design) की बारीकियों ने उन कमियों को भर दिया है जहाँ CGI नहीं पहुँच सका।


    5. निष्कर्ष: क्या आपको सिनेमाघरों में Mirai देखनी चाहिए?

    एक फिल्म समीक्षक के रूप में, मैं शायद ही कभी “मस्ट-वॉच” (must-watch) शब्द का उपयोग करता हूँ, लेकिन Mirai के लिए मैं अपवाद करूँगा।

    यह एक ऐसी फिल्म है जो मस्तिष्क के दोनों गोलार्द्धों को संतुष्ट करती है: गंभीर दर्शकों के लिए इसमें पर्याप्त तर्क और गहराई है, और शुद्ध मनोरंजन चाहने वालों के लिए दृश्य वैभव। तेजा सज्जा और कार्तिक घट्टमनेनी ने साबित कर दिया है कि वे एक्शन-फैंटेसी शैली का भविष्य हैं।

    सकारात्मक पहलू (Pros):

    • उत्कृष्ट सिनेमैटोग्राफी, सिनेमाई रोशनी का बेहतरीन उपयोग।

    • गहरी कहानी, इतिहास और कल्पना का सहज मिश्रण।

    • तेजा सज्जा और मंचू मनोज का अभूतपूर्व अभिनय।

    • वीर रस से भरा, भावनात्मक संगीत।

    नकारात्मक पहलू (Cons):

    • बड़े पैमाने के कुछ दृश्यों में CGI उतना विस्तृत नहीं है।

    • 155 मिनट की अवधि कुछ दर्शकों के लिए थोड़ी लंबी हो सकती है जो भारतीय फिल्मों की गति के आदी नहीं हैं।

    “Mirai सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह एक याद दिलाती है कि हम में से प्रत्येक के भीतर एक ‘सुपर योद्धा’ सोया हुआ है, जो जागने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा है।”


    Mirai फिल्म का ट्रेलर (Official)

    जिस “Cinematic” वातावरण का मैंने वर्णन किया है, उसे बेहतर ढंग से महसूस करने के लिए, कृपया नीचे दिया गया आधिकारिक ट्रेलर देखें:

    यह लेख एक फिल्म आलोचना विशेषज्ञ द्वारा लिखा गया है, विशेष रूप से [वेबसाइट/पत्रिका का नाम] के लिए।

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    Kavya

    मैं एक फ़िल्म संपादक और समीक्षक हूँ, जिसे 5 वर्षों का अनुभव है। मेरा कार्य फ़िल्मों के चरित्र-मनोविज्ञान, सिनेमैटोग्राफी, कहानी की संरचना, संपादन की गति और कलात्मक मूल्यों का गहन विश्लेषण करना है। मैं हमेशा निष्पक्ष, सूक्ष्म और भावनात्मक दृष्टिकोण के साथ लेखन करता हूँ, ताकि पाठक सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक कला के रूप में समझ सकें।

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