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    Tamil Movies

    [REVIEW] Lara (2025)

    KavyaBy Kavyaदिसम्बर 11, 2025Updated:दिसम्बर 12, 2025कोई टिप्पणी नहीं6 Mins Read
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    [REVIEW] Lara (2025) फिल्म समीक्षा: जब समुद्र का रहस्यपटकथा की रेत पर फंस गयासमीक्षक

    🎬 फिल्म की जानकारी (Movie Metadata)

    • फिल्म का नाम: Lara (लारा)

    • निर्देशक और लेखक: मणि मूर्ति (Mani Moorthi)

    • मुख्य कलाकार: अशोक कुमार बालकृष्णन, एम. कार्तिकेसन, अनुश्रेया राजन, वार्शिनी वेंकट, मैथ्यू वर्गीस, बाला।

    • शैली (Genre): सस्पेंस थ्रिलर / मिस्ट्री / पुलिस प्रक्रियात्मक (Police Procedural)

    • निर्माता: एम. कार्तिकेसन (Mk Film Media Works)

    • रिलीज का वर्ष: 03 जनवरी 2025

    • अवधि: 117 मिनट

    • भाषा: तमिल Tamil 

    • संगीत: रघु श्रवण कुमार

    • छायांकन (Cinematography): आर.जे. रवीन

    • संपादक: वलार पांडि


    📽️ संदर्भ ट्रेलर

    🖋️ विस्तृत समीक्षा: एक सराहनीय प्रयास जो मंज़िल तक नहीं पहुँच पाया

    आधुनिक जासूसी (noir) सिनेमा के प्रवाह में, एक दमघोंटू माहौल बनाना पहली शर्त है। निर्देशक मणि मूर्ति की Lara ने कराइकल के धूप और हवादार समुद्र तट पर कहानी को स्थापित करके ऐसा करने की कोशिश की है, जहाँ एक महिला का विघटित शरीर किनारे पर बहकर आता है और राजनीतिक साजिशों और अपराधों का ‘पेंडोरा बॉक्स’ खोल देता है। हालाँकि, सवाल यह है कि क्या यह फिल्म वास्तव में एक “काला मोती” (black pearl) है या समुद्र तट पर बहकर आया केवल एक “खाली घोंघा”?

    1. दृश्य भाषा: तटीय क्षेत्र की उदास सुंदरता (Visual Aesthetics)

    Lara का सबसे बड़ा आकर्षण छायाकार (DoP) आर.जे. रवीन की दृश्य सोच में निहित है। सामान्य तमिल व्यावसायिक फिल्मों के चमकीले फ्रेमों के बजाय, Lara ने खुद को एक ठंडे नीले-ग्रे (desaturated blue-grey) रंग में लपेटा है।

    छायांकन (Cinematography) अलगाव की भावना पैदा करने के लिए समुद्र की सेटिंग का पूरा उपयोग करता है। अंतहीन तटरेखा के ड्रोन शॉट्स (drone shots) प्रकृति और अपराध के सामने इंसानों को बहुत छोटा दिखाते हैं। पूछताछ के दृश्यों में प्रकाश व्यवस्था (Lighting) को Low-key (मंद प्रकाश) शैली में डिज़ाइन किया गया है, जिसमें अंधेरे हिस्से हावी हैं, जो पात्रों की नैतिक अस्पष्टता को दर्शाते हैं। हालाँकि, कुछ हिस्सों में, गहरे रंगों का अत्यधिक उपयोग दृश्यों को कलात्मक बनाने के बजाय “धुंधला” (muddy) बना देता है, जिससे दर्शकों का दृश्य अनुभव कम हो जाता है।

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    2. चरित्र मनोविज्ञान और अभिनय: ‘सफल’ और ‘असफल’ के बीच का संतुलन

    • इंस्पेक्टर कार्तिकेसन (एम. कार्तिकेसन द्वारा अभिनीत): निर्माता और मुख्य अभिनेता दोनों के रूप में, एम. कार्तिकेसन ने एक “सधा हुआ” (workmanlike) प्रदर्शन दिया है। वे नियंत्रण से बाहर के मामले में फंसे एक प्रांतीय पुलिसकर्मी की थकान को व्यक्त करते हैं। हालाँकि, इस चरित्र में उस मनोवैज्ञानिक गहराई (psychological depth) की कमी है जो दर्शकों को वास्तव में सहानुभूति महसूस करने के लिए चाहिए। हम उन्हें जांच करते हुए देखते हैं, लेकिन हम उन्हें आंतरिक संघर्ष करते हुए नहीं देखते।

    • महारूफ (अशोक कुमार बालकृष्णन द्वारा अभिनीत): यह फिल्म का सबसे दिलचस्प चरित्र है। अशोक कुमार एक अस्थिर, अप्रत्याशित ऊर्जा लाते हैं। एक अहंकारी संदिग्ध से एक दयनीय प्यादे (pawn) में उनका मनोवैज्ञानिक परिवर्तन सहायक कलाकारों के कभी-कभी कठोर अभिनय को बचाने वाला बिंदु है।

    • लारा (अनुश्रेया राजन द्वारा अभिनीत): शीर्षक चरित्र होने के बावजूद, लारा केवल बिखरी हुई यादों (flashbacks) के माध्यम से दिखाई देती है। वह हाड़-मांस की इंसान के बजाय एक परछाई (phantom) की तरह है; सुंदर लेकिन अपरिचित।

    3. गति और पटकथा: जब ‘ध्यान भटकाना’ ही ‘रास्ता भटकना’ बन जाए

    मणि मूर्ति की पटकथा की महत्वाकांक्षा बड़ी है क्योंकि यह कई ट्विस्ट के साथ एक गैर-रेखीय कथा संरचना (non-linear narrative) बनाने की कोशिश करती है। हालाँकि, यह एक दोधारी तलवार साबित होती है।

    शुरुआती हिस्से में फिल्म की गति (Pacing) काफी धीमी है, जो शक्तिशाली एमएलए (मैथ्यू वर्गीस) या सिंगापुर भाग गए संदिग्धों जैसे सहायक पात्रों को पेश करने में बहुत समय बर्बाद करती है, जिससे बहुत सारे “झूठे सुराग” (red herrings) पैदा होते हैं। नाटकीयता बढ़ाने के बजाय, यह दर्शकों को थका देता है जैसे कि उन्हें किसी पुराने केस की फाइल दोबारा पढ़नी पड़ रही हो।

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    संपादक वलार पांडि ने अंतिम हिस्से में तेज़ ‘जंप कट्स’ (jump cuts) के साथ इसे बचाने की कोशिश की, लेकिन यह फिल्म के मध्य भाग की सुस्ती की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं था। एक जासूसी फिल्म को गिटार के तार की तरह तनावपूर्ण होना चाहिए, लेकिन Lara दुर्भाग्य से कई बार ढीली पड़ जाती है।

    4. संगीत: ‘बेसुरे’ पल (Soundscape)

    रघु श्रवण कुमार के संगीत में चमकने के कुछ पल हैं, विशेष रूप से समुद्र की उदासी को दर्शाता थीम गीत। हालाँकि, नाटकीय दृश्यों में बैकग्राउंड स्कोर (background score) इलेक्ट्रॉनिक ध्वनियों (synth) का बहुत अधिक उपयोग करता है, जो कभी-कभी संवादों पर हावी हो जाता है। साउंड डिज़ाइन (sound design) में सूक्ष्मता की कमी उस यथार्थवाद को कम करती है जिसे फिल्म बनाने की कोशिश कर रही है।

    5. कलात्मक मूल्य: नई बोतल में पुरानी शराब

    Lara जासूसी शैली के लिए कोई बड़ी सफलता नहीं लाती है। यह शैली के सभी नियमों (genre conventions) का पालन करती है: रहस्यमय लाश, अकेला पुलिसकर्मी, भ्रष्ट राजनेता। फिल्म का कलात्मक मूल्य तमिल सिनेमा में कम “मसाला” और अधिक गंभीर दृष्टिकोण लाने के प्रयास में निहित है।

    यह एक ऐसे समाज को दर्शाता है जहाँ सत्ता और पैसे से सच्चाई को आसानी से तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है। भले ही प्रस्तुति थोड़ी अनाड़ी है, लेकिन न्याय की नाजुकता के बारे में संदेश में निश्चित रूप से कुछ वजन है।

    🚦 निष्कर्ष: एक ऐसा व्यंजन जो ‘खाने योग्य’ है लेकिन ‘स्वाद’ की कमी है

    Lara (2025) एक ऐसी कॉकटेल की तरह है जिसमें पानी मिला दिया गया हो: इसमें सभी सामग्री तो है लेकिन वह “किक” गायब है जो दिल को मदहोश कर दे। यदि आप जासूसी फिल्मों के कट्टर प्रशंसक हैं और आपने सभी उत्कृष्ट फिल्में देख ली हैं, तो Lara “बदलाव” के लिए एक ठीक-ठाक विकल्प हो सकती है। लेकिन अगर आप कहानी कहने की कला में पूर्णता की तलाश कर रहे हैं, तो यह फिल्म आपको ऐसा महसूस करा सकती है जैसे आपने कल की अखबार की रिपोर्ट अभी पढ़ी हो।

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    जैसा कि Variety पत्रिका टिप्पणी कर सकती है: “A coastal whodunit that navigates familiar tides with competence but fails to dive beneath the surface.” (एक तटीय रहस्य जो परिचित लहरों को कुशलता से पार करता है लेकिन सतह के नीचे गोता लगाने में विफल रहता है)।


    📊 रेटिंग: 2.5/5 सितारे

    • दृश्य (Visuals): 3/5 (सुंदर दृश्य लेकिन रंग एकरूप नहीं)।

    • कथानक (Plot): 2.5/5 (उलझा हुआ और वास्तविक चरमोत्कर्ष का अभाव)।

    • अभिनय: 3/5 (ठीक-ठाक, विस्फोट की कमी)।

    • संगीत: 2.5/5 (कभी-कभी अनावश्यक रूप से शोर भरा)।


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    Kavya

    मैं एक फ़िल्म संपादक और समीक्षक हूँ, जिसे 5 वर्षों का अनुभव है। मेरा कार्य फ़िल्मों के चरित्र-मनोविज्ञान, सिनेमैटोग्राफी, कहानी की संरचना, संपादन की गति और कलात्मक मूल्यों का गहन विश्लेषण करना है। मैं हमेशा निष्पक्ष, सूक्ष्म और भावनात्मक दृष्टिकोण के साथ लेखन करता हूँ, ताकि पाठक सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक कला के रूप में समझ सकें।

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