[REVIEW] Communist Pacha Adhava Appa (2025) – An Elegy of a Weed amidst the Flow of Time
Rating: ★★★★☆ (4/5) – “A painful yet humorous anthropological study on the fading of ideals.”
केरल (Kerala), दक्षिण भारत का वह राज्य, हमेशा से पारिवारिक त्रासदियों के साथ बुनी गई राजनीतिक कहानियों के लिए उपजाऊ जमीन रहा है। लेकिन Communist Pacha Adhava Appa (कम्युनिस्ट पचा अथवा अप्पा) वीर क्रांतिकारी गीतों के घिसे-पिटे रास्ते पर नहीं चलती। निर्देशक शम्जू ज़ायबा (Shamzu Zayba) ने एक ऐसा काम किया है जो गहरा व्यंग्यात्मक (satirical) होते हुए भी करुणा से भरा है। फिल्म “Communist Pacha” (Chromolaena odorata – एक आक्रामक खरपतवार जो घावों को भरती भी है) के रूपक (metaphor) का उपयोग पिता के लिए करती है: एक ऐसा व्यक्ति जिसने अपना पूरा जीवन पार्टी को समर्पित कर दिया, केवल यह महसूस करने के लिए कि वह अब अकेला पड़ गया है, और नए पूंजीवादी युग में अपने ही बच्चों के रहने की जगह में “अतिक्रमण” (invasive) कर रहा है।
🎬 Film Metadata
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Film Title: Communist Pacha Adhava Appa (Communist Green or Father)
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Director: Shamzu Zayba
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Lead Cast: Suraj Venjaramoodu (Appa/Father), Naslen K. Gafoor (Son), Siddique.
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Genre: Political Satire / Family Drama / Tragicomedy
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Production: OPM Cinemas
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Release Year: 2025
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Runtime: 138 Minutes
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Language: Malayalam
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Cinematography (DoP): Jimshi Khalid
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Music: Shaan Rahman
Plot: Conflict Between “The Red” and “The Green”
कहानी अप्पा (Suraj Venjaramoodu) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो स्थानीय वामपंथी आंदोलन के एक अनुभवी वयोवृद्ध हैं। वह हड़तालों की यादों और समतावाद (egalitarianism) में अटूट विश्वास के सहारे जीते हैं। उनके विपरीत उनका बेटा (Naslen) है, जो Gen-Z का एक व्यावहारिक युवा है, जो स्टार्टअप का सपना देखता है और अपने पिता के आदर्शों को बोझ मानता है।
संघर्ष तब भड़क उठता है जब अप्पा पुश्तैनी जमीन को बेटे की इच्छानुसार रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन को बेचने के बजाय “सामुदायिक सांस्कृतिक केंद्र” के लिए रखने पर अड़ जाते हैं। फिल्म का शीर्षक एक शानदार शब्दखेल (pun) है: Communist Pacha एक खरपतवार है जो घाव भरता है, लेकिन क्या Appa (पिता) परिवार के घावों को भर सकते हैं, या वह केवल एक जिद्दी खरपतवार हैं जो विकास को रोक रहे हैं?
Character Analysis & Acting
Suraj Venjaramoodu as Appa:
यह शायद Android Kunjappan के बाद सूरज का सबसे “दर्दनाक” प्रदर्शन है। वह एक शोर मचाने वाले पितृसत्तात्मक पिता की भूमिका नहीं निभाते। वह एक मूक पतन (silent collapse) का अभिनय करते हैं।
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Acting Technique: सूरज के कंधों पर ध्यान दें। फिल्म की शुरुआत में, कंधे थोड़े तने हुए होते हैं, जो झंडा उठाने वाले गौरव की याद दिलाते हैं। लेकिन जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, वे झुकते जाते हैं, बुढ़ापे के कारण नहीं, बल्कि निराशा के भार के कारण। वह दृश्य जहाँ वह लेनिन की पुरानी तस्वीर से धूल साफ करते हैं, और खिड़की से बाहर उन गगनचुंबी इमारतों को देखते हैं जो बन रही हैं, अभिनय का शिखर है। उन्हें एहसास होता है कि जिस दुनिया को बनाने के लिए उन्होंने संघर्ष किया, उसमें अब उनके लिए कोई जगह नहीं है।
Naslen K. Gafoor:
नेस्लेन युवाओं की क्रूर मासूमियत का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह अपने पिता से नफरत नहीं करता, वह बस उन्हें समझता नहीं है। नेस्लेन की बेबसी, जब वह एक ऐसे पिता को “क्रिप्टो” और “मार्केट” समझाने की कोशिश करता है जो केवल “राशन” और “यूनियन” जानता है, एक ही समय में मज़ेदार और दुखद दोनों है।
Cinematography: The Color of Nostalgia
DoP जिमशी खालिद ने एक बहुत ही deliberate (सोची-समझी) रंग पैलेट का उपयोग किया है:
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Appa’s World: इसे Sepia (पीला-भूरा) और ईंट जैसे लाल टोन में शूट किया गया है। उनके कमरे की रोशनी अक्सर कमज़ोर और धूल भरी होती है, जो एक भूले हुए संग्रहालय की याद दिलाती है।
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The Outside World: आधुनिक हरे और नीले रंगों के ‘High Saturation’ के साथ उज्ज्वल और स्पष्ट।
यह विरोधाभास ‘Wide Shots’ में सबसे स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। केरल के हरे-भरे खेतों के बीच लाल झंडा लिए अप्पा की छोटी सी आकृति एक भयानक दृश्य रचना बनाती है: परिवर्तन के नीले सागर के बीच अकेला खड़ा एक लाल बिंदु।
Pacing and Editing
फिल्म की गति Largo (धीमी और विस्तृत) है। निर्देशक को कोई जल्दी नहीं है। वह संवादों को लंबा खींचते हैं, कभी-कभी अजीब सन्नाटे (awkward silence) तक, ताकि दर्शक उस पीढ़ीगत अंतर को महसूस कर सकें जिसे भरा नहीं जा सकता।
हालाँकि, फ्लैशबैक दृश्यों में ‘Editing’ बहुत ही तेज है। गौरवशाली अतीत के तेज़ कट्स को क्रूर वर्तमान के साथ मिलाना एक व्यंग्यात्मक Montage प्रभाव पैदा करता है। उदाहरण: अतीत में भीड़ को संबोधित करते हुए अप्पा का दृश्य तुरंत वर्तमान में निर्माण स्थल की धूल से खांसते हुए उनके दृश्य में बदल जाता है।
Music & Sound: Echoes from the Past
शान रहमान ने 80 के दशक के केरल के क्रांतिकारी गीतों की धुनों को बैकग्राउंड स्कोर में चतुराई से पिरोया है, लेकिन उन्हें ‘Lofi/Melancholic’ शैली में रीमिक्स किया है। यह पुराने रेडियो से आती हुई एक विकृत गूंज (distorted echo) की तरह लगता है। प्रकृति की आवाज़ें – Communist Pacha झाड़ियों से गुजरती हवा, टिन की छत पर गिरती बारिश – एक खुरदुरी बनावट (texture) के रूप में कार्य करती हैं, जो वास्तविकता की उपस्थिति की याद दिलाती हैं।
Artistic Value: The Deconstruction of the Idol
Communist Pacha Adhava Appa राजनीति की आलोचना नहीं करती, यह हठधर्मिता की आलोचना करती है और अनाड़ी पितृत्व का जश्न मनाती है। फिल्म का सबसे बड़ा मूल्य नायक की छवि को “Deconstruct” (विखंडित) करने में निहित है। अप्पा नायक नहीं हैं, वह उन आदर्शों के शिकार हैं जिनकी वह पूजा करते हैं। लेकिन उनकी विफलता में ही, हम दृढ़ता की सुंदरता देखते हैं।
Communist Pacha पौधा भले ही खरपतवार हो, लेकिन जब हाथ कटता है, तो लोग खून रोकने के लिए उसी को ढूंढते हैं। पिता भले ही पुराने जमाने के हों, लेकिन जब ठोकर लगती है, तो बेटे को उसी खुरदरे आश्रय की आवश्यकता होती है।
Conclusion
Communist Pacha Adhava Appa (2025) मालाबार क्षेत्र की कविता में भिगोई हुई एक उत्कृष्ट सिनेमाई कृति है। यह आपको पात्रों की मासूमियत पर हंसाती है, लेकिन यह महसूस कराकर रुलाती भी है कि इसमें आपके अपने पिता की छवि है। यह एक अनुस्मारक है कि: विचारधारा मर सकती है, लेकिन खून का रिश्ता सबसे लचीले खरपतवार की तरह हमेशा हरा रहता है।
The Money Shot: फिल्म का अंतिम दृश्य, जहाँ अप्पा काम के दौरान दुर्घटना के बाद बेटे के घाव पर पट्टी करने के लिए उन्हीं “Communist Pacha” की झाड़ियों का उपयोग करते हैं। कोई संवाद नहीं, केवल आँखें। दो पीढ़ियों के बीच सुलह एक ऐसे पौधे के माध्यम से होती है जिसका नाम राजनीतिक है लेकिन जिसका कार्य उपचार करना है।
![[REVIEW] Communist Pacha Adhava Appa (2025)](https://lebuuhoa.org.mx/wp-content/uploads/2025/12/MV5BNmRiYjA5MWUtN2YyMC00ZGQ4LWJiNGMtZDhhMTg3MDkyNGJlXkEyXkFqcGc@._V1_QL75_UY281_CR180190281_.jpg)