[REVIEW] Seesaw (2025) फिल्म समीक्षा: न्याय का तराजू या मन का झूला?
समीक्षक: Gemini (फिल्म आलोचक)
रिलीज़ की तारीख: 11 दिसंबर 2025
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🎬 फिल्म की जानकारी (Movie Metadata)
फिल्म का नाम: Seesaw (सीसॉ – झूला/संतुलन)
निर्देशक और लेखक: गुना सुब्रमण्यम (Guna Subramaniam)
मुख्य कलाकार: नटराजन सुब्रमण्यम (नटी), निशांत रुसो, पद्दिने कुमार, निझलगल रवि।
शैली (Genre): क्राइम थ्रिलर / साइकोलॉजिकल ड्रामा / पुलिस प्रक्रियात्मक
निर्माता: डॉ. के. सेंथिलवेलन (Vidiyal Studios)
रिलीज का वर्ष: 03 जनवरी 2025
अवधि: 134 मिनट
भाषा: तमिल Tamil
संगीत: एस. चरण कुमार
छायांकन (Cinematography): मणिवन्नन, पेरुमल
📽️ आधिकारिक ट्रेलर
🖋️ विस्तृत समीक्षा: जब सच कभी स्थिर नहीं रहता
फिल्म नॉयर (Film Noir) की दुनिया में, ‘सीसॉ’ (Seesaw) जैसा कोई महंगा रूपक शायद ही कोई हो। यह शाश्वत असंतुलन का प्रतिनिधित्व करता है: जब सच का एक सिरा ऊपर उठता है, तो झूठ का दूसरा सिरा अंधेरे में डूब जाता है। निर्देशक गुना सुब्रमण्यम ने इस छवि का उपयोग न केवल एक शीर्षक के रूप में, बल्कि Seesaw (2025) के निर्माण के लिए एक दृश्य दर्शन (visual philosophy) के रूप में किया है – एक ऐसी जासूसी फिल्म जो महत्वाकांक्षी, कांटेदार और मानव मन की नाजुकता के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।
1. दृश्य भाषा: छाया और क्षय का नृत्य (Visual Aesthetics)
छायाकारों की जोड़ी मणिवन्नन और पेरुमल ने तमिलनाडु की चिलचिलाती धूप को नकारते हुए फिल्म को एक ठंडे और उदास Desaturated Cyan (फीके फिरोजा) रंग में लपेटा है।
Seesaw में छायांकन तकनीक (Cinematography) दृष्टिकोण (perspective) का एक जानबूझकर खेला गया खेल है। जब भी प्रतिपक्षी आधवन (निशांत रुसो) स्क्रीन पर आता है, कैमरा अक्सर ‘डच एंगल्स’ (Dutch angles – तिरछे कोण) पर रखा जाता है, जो अस्थिरता और असंतुलन का एहसास कराता है। शव लेपन केंद्र (embalming center) के गलियारों से गुजरते हुए Tracking shots न केवल दृश्य रूप से डरावने हैं, बल्कि आत्मा के सड़े हुए कोनों में गहराई तक जाने का भी रूपक हैं।
प्रकाश व्यवस्था (Lighting) को Chiaroscuro (प्रकाश और अंधकार का गहरा विरोधाभास) शैली में डिज़ाइन किया गया है, विशेष रूप से पूछताछ के दृश्यों में। इंस्पेक्टर मुगिलन (नटी) का चेहरा हमेशा प्रकाश और छाया की सीमा के बीच रहता है, जो यह सुझाव देता है कि न्याय करने वाला भी नैतिकता की एक नाजुक रस्सी पर चल रहा है।
2. चरित्र मनोविज्ञान: तर्क और अराजकता के बीच टकराव
फिल्म का दिल दो ध्रुवों के बीच की असमान “दिमागी लड़ाई” है:
इंस्पेक्टर मुगिलन (नटी): एक अनुभवी सिनेमेटोग्राफर से अभिनेता बने नटराजन सुब्रमण्यम ने एक शांत और सख्त मुगिलन को पेश किया है। वह शोर मचाने वाला एक्शन पुलिसकर्मी नहीं है। मुगिलन निरीक्षण करता है, सुनता है और विश्लेषण करता है। नटी की शांति वह लंगर है जो दर्शकों को मामले के पागलपन में बहने से रोकती है।
आधवन (निशांत रुसो): मनोवैज्ञानिक रूप से यह एक बहुत ही चुनौतीपूर्ण भूमिका है। निशांत रुसो ने बाइपोलर डिसऑर्डर (bipolar disorder) से ग्रस्त एक व्यवसायी की भूमिका निभाई है। उनका अभिनय विस्फोटक, अनियमित और कभी-कभी असहज करने वाला है – लेकिन यही निर्देशक का इरादा था। वह एक टाइम बम की तरह है, जो आधुनिक समाज द्वारा पैदा की गई अराजकता (chaos) का प्रतिनिधित्व करता है: ऑनलाइन गेम की लत, सफलता का दबाव और अकेलापन।
उनके बीच का रिश्ता बिल्कुल उस ‘सीसॉ’ (झूले) जैसा है: जब मुगिलन सच को ऊपर उठाने के लिए तर्क का उपयोग करने की कोशिश करता है, तो आधवन का पागलपन हर चीज को अस्पष्टता की खाई में धकेल देता है।
3. गति और संरचना: शिकारी का धैर्य
इंस्टेंट नूडल्स जैसी जासूसी फिल्मों के विपरीत, Seesaw ने एक धीमी गति (Lento pacing) चुनी है। निर्देशक गुना ट्विस्ट देने की जल्दी में नहीं हैं। वे माहौल (atmosphere) बनाने में समय लेते हैं।
संपादक विल्सी जे. ससी ने समय-सीमाओं (timelines) को आपस में बुने में साहसिक निर्णय लिए हैं। फ्लैशबैक (flashbacks) स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते हैं, बल्कि वे धुंधले और टूटे हुए हैं, ठीक वैसे ही जैसे मानसिक रूप से घायल पात्रों की यादें होती हैं। हालांकि दूसरे भाग में फिल्म की गति कभी-कभी थोड़ी सुस्त लग सकती है, लेकिन यह जांच के गतिरोध को महसूस करने के लिए आवश्यक है – सुई को समुद्र में खोजने जैसा अहसास।
4. संगीत: तनाव की गूंज (Soundscape)
संगीतकार एस. चरण कुमार ने एक डरावना ध्वनि परिदृश्य (soundscape) बनाया है। नाटकीय वायलिन का अत्यधिक उपयोग न करते हुए, उन्होंने बहुत सारी इलेक्ट्रॉनिक ध्वनियों (synth) का उपयोग किया है जो भिनभिनाती हैं, जो एक मानसिक रोगी के मस्तिष्क में शोर की नकल करती हैं।
चरमोत्कर्ष के दृश्यों में, संगीत अचानक बंद हो जाता है, जिससे भारी सांसों और दिल की धड़कन की आवाज़ को जगह मिलती है। Seesaw में सन्नाटा (silence) बहुत भारी है, यह दर्शकों को भाग्य के झूले के गिरने का इंतजार करते हुए अपनी सांसें रोकने पर मजबूर कर देता है।
5. कलात्मक मूल्य: एक अदृश्य “महामारी” के बारे में चेतावनी
एक हत्या के मामले के ढांचे से ऊपर उठकर, Seesaw डिजिटल युग के “भूतों” पर एक समाजशास्त्रीय अध्ययन (sociological study) है।
फिल्म बहादुरी से ऑनलाइन गेम की लत और मानसिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के विषय की पड़ताल करती है – एक ज्वलंत मुद्दा जिसे तमिल सिनेमा ने शायद ही कभी इतने सीधे तौर पर छुआ हो। यह सवाल उठाता है: क्या हम तकनीक को नियंत्रित कर रहे हैं, या तकनीक हमें भावनाओं के झूले पर कठपुतली बना रही है?
फिल्म में शव संरक्षण केंद्र (embalming center) की छवि केवल एक डरावनी सेटिंग नहीं है, बल्कि एक सुंदर और दर्दनाक रूपक है: क्या हम उन नैतिक मूल्यों को संरक्षित करने (embalm) की कोशिश कर रहे हैं जो मर रहे हैं, या हम केवल बाहर के दिखावटी आवरण को रंग रहे हैं?
🚦 निष्कर्ष: एक ‘न्वार’ (Noir) फिल्म जिसे पचाना मुश्किल है, लेकिन यह कीमती है
Seesaw (2025) उन लोगों के लिए नहीं है जो सतही मनोरंजन की तलाश में हैं। यह धैर्य और सहानुभूति की मांग करती है। भले ही पटकथा में कहीं-कहीं खामियां हैं और महत्वाकांक्षा कभी-कभी क्षमता से अधिक हो जाती है, लेकिन यह स्वतंत्र भारतीय सिनेमा का एक सम्मानजनक प्रयास है।
यदि Variety पत्रिका इस फिल्म के बारे में लिखती, तो वे शायद यह निष्कर्ष निकालते: **”A moody, atmospheric procedural that falters in pace but triumphs in its chilling portrayal of a mind unhinged. It proves that the scariest monsters are not under the bed, but inside our heads.” (एक उदास, वायुमंडलीय प्रक्रियात्मक फिल्म जो गति में लड़खड़ाती है लेकिन एक विक्षिप्त दिमाग के रोंगटे खड़े कर देने वाले चित्रण में जीत जाती है। यह साबित करता है कि सबसे डरावने राक्षस बिस्तर के नीचे नहीं, बल्कि हमारे सिर के अंदर हैं।) **
📊 रेटिंग: 3.5/5 सितारे
दृश्य (Visuals): 4/5 (प्रभावशाली न्वार शैली)।
अभिनय: 4/5 (नटी उत्कृष्ट हैं, निशांत रुसो ऊर्जा से भरे हैं)।
पटकथा: 3/5 (विचार अच्छा है लेकिन कार्यान्वयन थोड़ा लंबा है)।
कलात्मक मूल्य: 3.5/5 (मजबूत सामाजिक संदेश)।
Kavya
मैं एक फ़िल्म संपादक और समीक्षक हूँ, जिसे 5 वर्षों का अनुभव है। मेरा कार्य फ़िल्मों के चरित्र-मनोविज्ञान, सिनेमैटोग्राफी, कहानी की संरचना, संपादन की गति और कलात्मक मूल्यों का गहन विश्लेषण करना है। मैं हमेशा निष्पक्ष, सूक्ष्म और भावनात्मक दृष्टिकोण के साथ लेखन करता हूँ, ताकि पाठक सिनेमा को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक कला के रूप में समझ सकें।
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